जालोर ब्रेकिंग न्यूज
सांचौर में गिरा 2.788 किलोग्राम वजनी उल्कापिंड, तेज आवाज के साथ 5 फीट की गहराई में जाकर धंसा काली चमकीली धातु जैसा आ रहा है नजर।
जालोर। जालोर जिले के सांचौर कस्बे में शुक्रवार सुबह एक उल्कापिंड गिरने से सनसनी फैल गई। उल्कापिंड को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े। बाद में पुलिस ने प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में इसे वहां से हटाकर इसे सुरक्षित रखवाया। पुलिस के अनुसार किसी धातु के समान नजर आ रहा यह उल्कापिंड 2.788 किलोग्राम वजनी है।
सांचौर थानाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि आज सुबह 7 बजे सूचना मिली कि गायत्री कॉलेज के निकट भंसाली अस्पताल की तरफ जाने वाले मार्ग पर आसमान से तेज गर्जना के साथ एक चमकदार वस्तु नीचे गिरी है। इस पर वे मय जाप्ता मौके पर पहुंचे. वहां काले रंग की धातु का एक टुकड़ा जमीन में धंसा हुआ नजर आ रहा था। करीब चार से पांच फीट की गहराई में जाकर यह टुकड़ा धंस गया। उस समय यह टुकड़ा काफी गरम था। बाद में उपखंड अधिकारी व उप अधीक्षक भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह उल्कापिंड है। यह काले रंग की चमकीली धातु जैसा नजर आ रहा है।
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने आसमान से एक तेज चमक के साथ एक टुकड़े को गर्जना के साथ नीचे गिरते देखा। नीचे गिरते ही एक धमाका हुआ। इस उल्कापिंड के ठंडा होने पर पुलिस ने उसे कांच के एक जार में रखवा दिया है। पुलिस का कहना है कि इसे विशेषज्ञों को दिखाया जाएगा।आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का और साधारण बोलचाल में टूटते हुए तारे कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड कहते हैं। प्रत्येक रात्रि को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या बहुत कम होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचनाके ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं।
सम्पादक
जगदीश राम केलनसर
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