नई शिक्षा नीति 2020 को मोदी कैबिनेट की मंजूरी ,

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● BREAKING NEWS ● फलोदी जिले के खीचन और उदयपुर के मेनार गांव रामसर साइट घोषित, जेके राजस्थान न्यूज | केलनसर : विश्व पर्यावरण दिवस ( 5 जून ) से पूर्व बुधवार की संध्या को भारत के केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री ने घोषणा करके कहा है कि भारत में राजस्थान के फलोदी जिले के खीचन की आर्द्रभूमि और उदयपुर जिले के मेनार गांव (बर्ड गाँव) को रामसर साइट के रूप में मान्यता दी गयी है। खीचन में सर्दी के समय प्रत्येक वर्ष साइबेरिया से असंख्यक झुण्ड के रूप में साइबेरियन कुरजां अपना पड़ाव डालती है क्योंकि ये खीचन की आद्रभूमि वातावरण और पर्यावरण के अनुकूलन है, जिले में लाखों की संख्या में कुरजां के भ्रमण के कारण यहां पर्यटन, संस्कृति, कला, और फलोदी जिले का सामरिक महत्व और अधिक व्यापक स्तर पर बढेगा। खीचन व मेनार को विश्व स्तर पर पहचान : मेनार गाँव प्रदेश व देश का एकमात्र "विश्व में छाया बर्ड गाँव" के रुप में जाना जाता है यहाँ हमेशा बर्ड सुबह से शाम तक देखा जा सकता है। फलोदी जिले के खीचन और उदयपुर के मेनार गाँव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान, सैंकड़ो देशी व विदेशी सैलानियों का जमावड़ा रहेगा, राजस्थान के दोनों वेटलैण्ड स्थलों की इंटरनेशनल स्तर पर वैश्विक पहचान। भारत में अब 5 जून 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार रामसर साइट की संख्या 91 हो गई है, वहीं राजस्थान में 2 से बढकर 4 रामसर साइट हो चुकी है। रामसर साइट क्या है : रामसर साइट एक ऐसी जगह है जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि होती है, जिसे रामसर कन्वेंशन के तहत संरक्षित किया जाता है। रामसर कन्वेंशन एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों का संरक्षण और स्थायी उपयोग करना है।

नई शिक्षा नीति 2020 को मोदी कैबिनेट की मंजूरी ,

Modi Cabanit approves new education policy 2020 , know ...


भारत / नई दिल्ली :
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था। इस दौरान ही निशंक ने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था।
New Education policy 2020
नई शिक्षा नीति के मसौदे को विभिन्न पक्षकारों की राय के लिये सार्वजनिक किया गया था और मंत्रालय को इस पर दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, नीति के मसौदे को मंजूरी मिल गई है। मंत्रालय का पुन: नामकरण शिक्षा मंत्रालय किया गया है।


गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति का विषय 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था।

मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर भी विचार किया। इस समिति का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तब किया था जब मंत्रालय का जिम्मा स्मृति ईरानी के पास था।
आइए यहां जानते हैं कि नई शिक्षा नीति में सरकार की ओर से क्या-क्या बदलाव किए गए हैं...

प्री-प्राइमरी एजुकेशन पर जोर नई शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य प्री-प्राइमरी शिक्षा यानि कि तीन से छह साल के बीच बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा को साल 2025 तक सर्वव्यापी बनाया जाए और 2025 तक सभी बच्चों को मूलभूत शिक्षा और गणना सिखाई जाए।

शिक्षा का सर्वव्यापी होना

नई शिक्षा प्रणाली के तहत ड्रॉप आउट्स का दोबारा एकीकरण और सर्वव्यापी शिक्षा के उद्देश्य के लिए सभी बच्चों को मुफ्त और जरूरी स्कूली शिक्षा देना अनिवार्य किया गया है, इसमें तीन साल से लेकर 18 साल तक की उम्र वाले बच्चे शामिल होंगे और 2030 तक इस लक्ष्य को पूरा करना है।

नया पाठ्यक्रम और शैक्षणिक प्रणाली नई शिक्षा प्रणाली में नया पाठ्यक्रम और शैक्षणिक प्रणाली का प्रस्ताव लाया गया है। इसमें तीन साल से लेकर 18 साल तक के बच्चों के लिए 5+3+3+4 डिजाइन कवर किया जाएगा। यहां समझें नई शैक्षणिक प्रणाली...

1. बुनियादी स्तर के पांच साल- प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और ग्रेड 1, 2

2. पाठ्यक्रम प्रणाली के तीन साल - ग्रेड 3, 4 और 5

3. मध्य प्राइमरी स्तर के तीन साल - ग्रेड 6, 7 और 8

4. सेकेंडरी स्तर के चार साल - ग्रेड 9, 10, 11 और 12

कला और विज्ञान पृथक नहीं

नई शिक्षा प्रणाली के तहत बच्चों को कला, मानवता, विज्ञान, खेल और व्यावसायिक विषयों के चुनाव के लिए विकल्प मिलेंगे।

स्थानीय भाषा / मातृभाषा में शिक्षा

बच्चे दो से आठ साल के बीच जल्द शिक्षा ग्रहण करते हैं और बच्चों के लिए ज्यादा भाषा का ज्ञान होना फायदेमंद हो सकता है। बच्चों को बुनियादी स्तर पर तीन भाषाएं सिखाई जाएंगी।

भारत की पारंपरिक भाषाओं का विवरण

हर बच्चे को तीन भाषा सीखने को मौका मिलेगा। कक्षा छह से आठ के लिए भी बच्चों को तीन भाषाओं के सिखाने पर जोर दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि बच्चे देश की पारंपरिक भाषा का ज्ञान ले सकें। हर स्कूल चाहे वो निजी या सरकारी हो, इसके लिए कक्षा छह से लेकर कक्षा आठ तक पारंपरिक भाषाओं का ज्ञान अवश्य दिया जाएगा।

शारीरिक शिक्षा

सभी बच्चों को हर स्तर पर शारीरिक शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिलेगा, जिसमें एक्सरसाइज, खेल, योग, मार्शल आर्ट्स, नृत्य, बागों की देख-रेश और कई तरह की एक्टिविटी होंगी। स्थानीय अध्यापक और सुविधाओं के आधार पर इसे सुनिश्चित किया जाएगा।

स्टेट स्कूल रेगुलेटरी अथॉरिटी

हर राज्य के लिए स्वतंत्र रेगुलेटरी संस्थान बनाया जाएगा, जिसे स्टेट स्कूल रेगुलेटरी अथॉरिटी के नाम से जाना जाएगा।

राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन

बच्चों के बीच शोध के विषय को लोकप्रिय करने के लिए एक राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी ताकि प्रतिस्पर्धा के लिए फंडिंग की जा सके।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग

नई शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य एक उच्च संस्थान बनाना है, जिसका नाम राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या नेशनल एजुकेशन कमीशन होगा। इसकी अध्यक्षता देश के प्रधानमंत्री करेंगे। देश में शिक्षा के विकास, लागू करना, मूल्यांकन करना और हर पहलू को रिवाइज करने का काम इस आयोग का पैनल करेगा।

शिक्षा मंत्रालय

शिक्षा और ज्ञान या सीखने की प्रक्रिया पर ज्यादा जोर देने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

रिपोर्ट : जगदीशराम जाखड़ 

              Published By - जेके राजस्थान न्यूज़ 

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