भारत देश में कैसे रखे जाते हैं राष्ट्रीय राजमार्ग ( National Highway ) के नाम

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Live नागौर सीट पर हनुमान बेनीवाल V/S ज्योति मिर्धा में बड़ा अपडेट, क्या रद्द होगा नामांकन? जयपुर | जेके राजस्थान न्यूज | राजस्थान की नागौर सीट हर बार की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव की हॉटेस्ट सीट बनी हुई है। यहां मुकाबला एक बार फिर चिर प्रतिद्वंदी हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा के बीच हो रहा है। हनुमान जहां इंडिया गठबंधन समर्थित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक प्रत्याशी हैं, तो वहीं ज्योति मिर्धा इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले ज्योति इसी नागौर सीट से कांग्रेस की लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। ज्योति के खिलाफ शिकायत : नागौर सीट पर हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा के बीच इस महामुकाबले में शनिवार को एक नया मोड़ आया। बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और समर्थन में उतरी इंडिया गठबंधन ने भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी से गंभीर शिकायत दर्ज करवाई है। आरएलपी-इंडिया नेताओं ने शिकायती पत्र में ज्योति मिर्धा द्वारा अपने नामांकन में कुछ तथ्य छुपाने के आरोप जड़े हैं। सांसद मिर्धा ने आपराधिक तथ्यों को छुपाया : आरएलपी-इंडिया की शिकायत के अनुसार भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने नागौर लोकसभा से दाखिल अपने नामांकन व शपथ पत्र में आपराधिक तथ्यों को छुपाया है। नामांकन व शपथ पत्र में बताया गया है कि उनके विरुद्ध कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है, जबकि जोधपुर शहर के उदयमंदिर थाने में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज हैं। इंडिया' गठबंधन के ये नेता पहुंचे शिकायत करने : जिला निर्वाचन अधिकारी से मिलकर भाजपा प्रत्याशी की शिकायत करने वाले इंडिया गठबंधन प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल, कोषाध्यक्ष माधाराम भाकल, किशनाराम पिंडेल, एडवोकेट गोविंद कड़वा, एडवोकेट निंबाराम काला, एडवोकेट कैलाश गालवा सहित इंडिया गठबंधन के कई प्रतिनिधि मौजूद रहे। प्रतिनिधिमंडल ने शिकायत के आधार पर भाजपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द करने की मांग रखी है। तीसरी बार हो रहा आमना-सामना : ज्योति मिर्धा और बेनीवाल तीसरी बार आमने-सामने हो रहे हैं। इससे पहले 2014 और 2019 में भी दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा है। ठीक 5 साल बाद चेहरे नहीं बदले हैं, लेकिन समीकरण बदल चुके हैं। जहां 2019 में ज्योति मिर्धा कांग्रेस की प्रत्याशी थीं, तो वहीं हनुमान बेनीवाल ने उनके खिलाफ चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। तब बेनीवाल को भाजपा का समर्थन था। इस बार की परिस्थिति में बेनीवाल कांग्रेस के समर्थन से चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं ज्योति मिर्धा भाजपा टिकट से प्रत्याशी है। जाट बाहुल्य है नागौर लोकसभा सीट : नागौर परंपरागत रूप से जाट राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है। नागौर के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो नागौर में जाट बहुसंख्यक हैं। मुस्लिम मतदाताओं की आबादी दूसरे स्थान पर बताई जाती है। इसके अलावा राजपूत, एससी और मूल ओबीसी वोटर भी अच्छी संख्या में हैं। नागौर लोकसभा सीट पर लंबे समय तक मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। नागौर से सबसे ज्यादा बार सांसद बनने का रिकॉर्ड नाथूराम मिर्धा के नाम है, जो छह बार नागौर से जीते थे। नाथूराम मिर्धा परिवार जाट समुदाय से है।

भारत देश में कैसे रखे जाते हैं राष्ट्रीय राजमार्ग ( National Highway ) के नाम

देश में कैसे रखे जाते हैं नेशनल हाईवे के नाम ? एक नंबर से पता चल जाता है...


भारत | जेके राजस्थान न्यूज |
देश में हाईवे का जाल जितना सघन होता है, देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाना उतना ही आसान होता है भारत में सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे -NH) 44 है, जो कि 4112 किमी लंबा है और जम्मू -कश्मीर से निकलकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक जाता है लेकिन इन राष्ट्रीय राजमार्गों से गुजरते हुए क्या आपने कभी सोचा है कि इन राजमार्गों को इनका नाम कैसे मिलता है, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तृत विवरण सहित सबकुछ जानें।

देश में कैसे तय होता है राजमार्गों का नाम ?

National Highway Numbers : भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की देखरेख के लिए देश में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की स्थापना 1988 में हुई थी। देश में राष्ट्रीय राजमार्गों से जुडे़ सभी मामलों को ये संस्था देखती है. देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के नामकरण के लिए भी एक खास तरह का नियम फॉलो किया जाता है, जिससे सिर्फ नंबर के जरिए ही ये अंदाजा लगाया जा सके कि अमुक राजमार्ग देश के किस हिस्से में पाया जाता है।

उत्तर से दक्षिण जाने वाले राजमार्ग : 

देश में उत्तर से दक्षिण जाने वाले सभी राजमार्गों की संख्या सम में होती है, जैसे 2, 8, 44 नेशनल हाईवे, इन हाईवे को नंबर्स पूर्व से पश्चिम की तरफ बढ़ते हुए ऑर्डर में दिया जाता है। जैसे मान लीजिए कि पूर्वोत्तर के राज्यों में स्थित राजमार्गों की संख्या कम होगी, जबकि गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों से होकर गुजरने वाले राजमार्गों की संख्या अधिक होगी, उदाहरण के लिए राजमार्ग संख्या 2 असम, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों से होकर गुजरती है जबकि नेशनल हाईवे संख्या 68 और 70 राजस्थान में है।

पूर्व से पश्चिम होकर जाने वाले राजमार्ग :

इसके बिल्कुल उलटे पूर्व से पश्चिम होकर जाने वाले सभी राजमार्गों की संख्या विषम में होती है, जैसे 1, 3 17, 77. इन राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ते हुए बढ़ती जाती है, जैसे नेशनल हाईवे 1 जम्मू और कश्मीर, 19 बिहार और उत्तर प्रदेश और 87 तमिलनाडु से होकर गुजरती है।

सहायक राजमार्ग :

अगर हम उत्तर से दक्षिण तक देश में मौजूद सभी प्रमुख राजमार्गों की बात करें, तो सम संख्या में 70 और विषम संख्या में इनकी संख्या 87 तक हैं लेकिन इसके अलावा देश में कई अनेक सारी सहायक राजमार्ग भी हैं इन्हें दो के बजाए तीन अंकों से बुलाया जाता है, उदाहरण के तौर पर जैसे नेशनल हाईवे 1 के सहायक राजमार्ग 301, 501, 701 और 701A, 

नेशनल हाईवे 28 के सहायक राजमार्ग 128, 128A, 128C, 128D, 328, 328A और 

नेशनल हाईवे 50 के सहायक राजमार्ग 150, 150A, 150E हैं।

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